भारत सरकार समय-समय पर वेतन आयोग गठित करती है ताकि सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में सुधार किया जा सके। अब तक भारत में आठ वेतन आयोग लागू हो चुके हैं। हर वेतन आयोग में नए बदलाव किए जाते हैं, जिससे कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और पेंशन में बढ़ोतरी होती है। इस लेख में हम 6वें, 7वें और संभावित 8वें वेतन आयोग के बीच मुख्य अंतर को समझेंगे।
1. 6वां वेतन आयोग (2006 में लागू)
प्रमुख विशेषताएँ:
- पे-बैंड और ग्रेड पे सिस्टम: वेतनमान को पे-बैंड और ग्रेड पे में विभाजित किया गया।
- मूल वेतन में वृद्धि: सरकारी कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन ₹7,000 किया गया।
- महंगाई भत्ता (DA): महंगाई भत्ता 50% से अधिक होने पर मूल वेतन में जोड़ा जाता था।
- एचआरए (HRA): 10%, 20% और 30% की दर से मकान किराया भत्ता दिया गया।
- पेंशन में सुधार: पेंशनधारकों को उच्च लाभ दिए गए।
2. 7वां वेतन आयोग (2016 में लागू)
मुख्य अंतर और सुधार:
- पे-बैंड सिस्टम समाप्त: ग्रेड पे हटा दिया गया और नया पे-मैट्रिक्स सिस्टम लागू किया गया।
- न्यूनतम वेतन वृद्धि: ₹18,000 प्रति माह किया गया।
- फिटमेंट फैक्टर: वेतन वृद्धि के लिए 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया गया।
- एचआरए में वृद्धि: 24%, 16% और 8% की दर से तय किया गया, जिसे महंगाई भत्ते (DA) के आधार पर संशोधित किया जाता है।
- पेंशन सुधार: नई पेंशन स्कीम (NPS) को और अधिक सुविधाजनक बनाया गया।
- भत्तों में बदलाव: 50 से अधिक भत्ते समाप्त कर दिए गए और कुछ को जोड़ा गया।
3. संभावित 8वां वेतन आयोग (2026 में लागू होने की संभावना)
संभावित बदलाव:
- फिटमेंट फैक्टर: 3.0 से 3.5 तक बढ़ने की उम्मीद, जिससे वेतन में बड़ी वृद्धि होगी।
- न्यूनतम वेतन: ₹26,000 या उससे अधिक होने की संभावना।
- महंगाई भत्ता (DA): पहले से अधिक दरों पर मिलने की उम्मीद।
- एचआरए और अन्य भत्ते: बढ़ोतरी होने की संभावना।
- नई पेंशन स्कीम में सुधार: पेंशनधारकों के लिए नई सुविधाएँ जोड़ी जा सकती हैं।
निष्कर्ष
6वें वेतन आयोग ने वेतनमान को बेहतर बनाया, 7वें वेतन आयोग में ग्रेड पे हटाकर पे-मैट्रिक्स लागू किया गया, और 8वें वेतन आयोग में वेतन और भत्तों में और अधिक बढ़ोतरी की संभावना है। सरकारी कर्मचारियों के लिए यह बदलाव लाभकारी साबित होते हैं और महंगाई के अनुसार वेतन को संतुलित रखते हैं।
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